Thursday, June 30, 2011

भूमिका

जिंदगी में व्यस्तता के साथ जटिलता भी बढ गयी है। इंसान भौतिक सुखो से वशीभूत हो इतना बेबस हो गया है कि खुद के लिये ही समय नहीं निकाल पा रहा, दूसरो की तो छोड़िये। रोज की आपाधापी में कई वाकये ऐसे हो जाते हो जो दिल पर एक अलग छाप छोड़ देते है। कुछ दिल को चोट देते है कि इंसान खून का घूँट पी कर रह जाता है तो कुछ खुशी से सारोबार कर देते है और जीवन हसीन लगने लगता है और हर साँस वरदान। कई बाते मन में ही रह जाती है, जिसके कारण इंसान अंदर ही अंदर सुलगता रहता है। यहीं धुँआ इंसान को घोटता रहता है एव मन अधीर हो जाता है। इसलिये जरूरी है की उन्मादी जज्बातों को सही तरीके से मन से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाये ताकि दिमाग शान्त हो सके। जो बाते कही नही जा सकती उसे कहने की इस से अच्छी जगह मुझे नहीं मिली। मुख जितना अनिंयत्रित और अपरिप्कव है, कलम उतनी ही सयंमित और व्यस्क है। मन की बाते मुख के द्वारा वमन करने से अच्छा शांत मन से कलम के सहारे ठंडी हो के निकले।

साहित्य इंसान की रचनात्मकता को दर्शाने के सबसे सरल और सशक्त तरीका है। जहाँ मन में उठ रहे भाव को आप बया नहीं कर सकते, चंद शब्दो की कविता उसमें रस, श्रंगार, चित्रात्मकता एव आध्यत्मिकता का समावेश कर देती है। अक्सर लोग काव्य को कठिन एवं ना समझ आने वाले शब्दों का संकलन समझ लेते है । ऐसी धारणा सिर्फ़ उन्हीं लोगो की होती है जो बाहारी चमक-दमक से प्रभावित हो केवल नाम और पहचान चाहते है। लेखक दिखना एक बात है और लेखक होना अलग बात है। सरल शब्दों से भी आप खुबसूरत या शक्तिशाली संदेश दे सकते है। काव्य कभी बलवश नहीं लिखा जा सकता वरना उसकी छदमता पढने वाले को आसानी से ग्यात हो जाती है, जब तक दिमाग और दिल एक रुप हो भावनाओ को एकाग्र ना कर ले एक प्रभावशाली कविता नहीं जन्मती। हर कविता की कोई ना कोई प्रेरणा अवश्य होती है, चाहे वो आपके निजी जीवन से हो या अनुभव से, पर इससे आपकी परिपक्वता का सार झलकता है।
हालाकि मेरी कविताओ का स्तर इतना उँचा तो नही है पर मेरे लिये वो उसी औषिधी की तरह कार्य करती है जिससे तत्काल सुकुन मिलता है। उम्मीद है आप भी उनसे आनंद पायेंगे।

तो यहाँ तमाम व्यस्तताओ से परे हो कुछ मन की बाते करे, राहत की , सुकून की, जो दूसरो से ना कही जा सके। जो अंदर ही अंदर आपको विचलित कर रही हो, कुछ कही कुछ अनकही।

No comments:

Post a Comment