Thursday, September 1, 2011

कुछ इस तरह से..............

कुछ इस तरह से दिल में मेरे दस्तक दी तुमने।
न आहट हुई, न सरसराहट हुई।
बस खामोशी में एक रुमानियत का अहसास हुआ॥

कुछ इस तरह से तुम्हारे मेरे जीवन में आगाज हुआ।
न अंदाजा था, न अंदेशा था।
बस तन्हाई के स्याह अधेंरे में रोशनी का अहसास हुआ।।

कुछ इस तरह से मेरे जीवन में रंग भर गई तुम्।
न आभास था, न कयास था
बस बेरंग जीवन के हर हिस्से में जीवटता का अहसास हुआ।

कुछ इस तरह से मन की गहराईयों में उतर गई तुम्।
न अनुमान था, न अभिसार था
बस निष्प्राण मन में चंचल तरंगो का अहसास हुआ।।

कुछ इस तरह से जुदा हो गयी तुम मुझसे
न समझ पाया, न संभल पाया
बस अंदर ही अंदर कुछ टुटने का अहसास हुआ।

कुछ इस तरह से मुझे किनारे कर गयी तुम
न डुब पाया न उभर पाया
बस मध्य मंझदार साहिल की अप्राप्ति का अहसास हुआ

कुछ इस तरह से तुम्हारी यादें संजोये हुँ
न कारण है, न निवारण है
बस पतझड़ में एक गुलशन का निशा भर है॥

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