Thursday, September 11, 2014

मौत तू एक कविता है

‘मौत’, जीवन की शाश्वत सच्चाई, एक ऐसी सच्चाई जिसका सामना करने से हर पल हम भागते रहते है। एक कटु सत्य जिसके बारे में हम बात तक करना पंसद नहीं करते, एक ऐसा मंजर जो हर बार हमे अंदर तक दहला देता है। कमोबश, हम में से हर किसी ने किसी ना किसी रूप में मौत को महसूस कर लिया हैं और हर किसी का अहसास दूसरे से जुदा हैं, हम सब के लिये मौत की अलग अलग परिभाषा हैं और अलग अलग द्र्ष्टिकोण, पर जिंदगी के हर मोड़ हर पड़ाव पर मौत साथ साथ चलती है और हम उसे झुठलाने का असफ़ल प्रयत्न करते रहते हैं।

वैसे तो मैं खुद को अभी उस मुकाम पर नहीं पाता की इतने संवेदनशील विषय पर कुछ लिख सकूँ पर हालही की कुछ घटनाओं ने मजबूर कर दिया। सबसे पहले मेरे पंसदीदा कलाकार और जाने माने अभिनेता ‘राबिन विलयम्स’ का आत्महत्या करना अंदर तक झकझोर गया, जो इंसान खुद अपनी फ़िल्मों में जीने का संदेश देता था, वो खुद अंदर से इतना कितना तन्हा और कुंठित था की ऐसा कदम उठा गया ? ज़िसे ना दौलता की कमी हो, ना शौहरत की और काम भी अपने मन का कर रहा हो, तो क्या कारण रहे होंगे उसके दुनिया को छोड़ने का फ़ैसला करने के ?

अभी कुछ दिनों से मैं अमेरिका का मशहुर टीवी सीरियल ‘केलिफ़ोर्निकेशन’ देख रहा था। उसमें एक किरदार ‘ल्यू ऐशबी ‘ था, बहुत ही जिंदादिल आदमी जो जीवन के हर पल को जीता है वो भी अपने पैमानो से, जिसके लिये जीवन एक पार्टी भर है जहाँ जितना मजा करना हैं कर लो। इस जिंदादिल आदमी का एक उदास और संवेदनशील पहलू भी है, उसकी प्रेमिका जो एक बहुत ही अमीर आदमी की पत्नी है और उसके लाख कोशिश करने पर भी अब उससे कोई ताल्लुक नहीं रखती, पर सीरियल के मुख्या किरदार ‘हैंक मूडी’ के मनाने पर उससे मिलने आती है। शायद पूराने प्यार का सुरूर होंगा या फ़िर अपनी पूरानी गलतियों की ग्लानि, ल्यू सहज रूप से उससे मिलने नहीं जा पाता । हैंक के जोर देने पर वो मिलने के लिये तैयार तो हो जाता है, पर जाने से पहले वो बहुत सारा हेरोईन कोकेन समझ कर ले लेता है, परिणामस्वरूप उसकी मौत हो जाती है। बड़ी ही अजब विंडबना हैं, ऐसा व्यक्ति जिसके पास दौलत और शोहरत दोनों हैं, और बाहर से वो जिंदगी के हर तरह से मजे लेता हुआ दिखायी देता है, अंदर से अपने पूराने प्यार को ना पाने के कारण व्यथित हैं और जब वो प्यार उसके दरवाजे पर खड़ा मिलता है तो जिंदगी अपने दरवाजे बंद कर देती है।

इसी सीरियल से मुझे ‘निर्वाणा’ नाम के बैंड के सदस्य ‘कर्ट कोबेन’ का पता पड़ा, जिन्होंने खुदखुशी की थी और पुन राबिन विल्यम्स की मौत के समय जो प्रश्न दिमाग में आया था, वह फ़िर आ खड़ा हुआ। आम आदमी हमेशा दौलत, शोहरत, इज्जत, सफ़लता के पीछे भागता है और इन्हीं की कशमकश में अपना जीवन गुजार देता है, फ़िर क्या कारण होता है सफ़ल लोगो के मौत को गले लगाने को ? हजारों की भीड़ के चहेते होते हुए भी वो भीतर से इतने तन्हा क्यूँ होते है ? हर तरफ़ से इज्जत और सराहना पाने के बावजुद क्या उन्हें हर पल कचोटता रहता हैं कि वो या तो नशे के आदि हो जाते है। सब कुछ होते हुए भी क्या बाकी रह जाता है कि या तो नशा ही जिंदगी बन जाता हैं या नशा ही मौत का कारण या फ़िर जीवन भी एक नशा भर रह जाता है ?



हालही में फ़ेसबुक की भी दो घटनाओं ने थोड़ा मन को छु लिया। मेरे फ़ेसबुक में एक बंदा था, निजी तौर पर नहीं मिला था मैं उससे पर बस यही पर बातचीत थी। बहुत ही जोशिला और जीवटता भरा इंसान था, एक दिन खबर मिली की उसने खुदखुशी कर ली है, कारण तो पता नहीं। थोड़े दिन पहले फ़ेसबुक पर ही उसके जन्मदिन का संदेश मिला, उसकी वाल पर कई लोग बधाई संदेश लिख रहे थे क्यूंकि उसकी मौत की खबर पूरानी हो चुकी थी और बहुतों को पता भी नहीं था की जिस ईंसान को वो सालों जीने का संदेश दे रहे है वो तो पहले ही मौत की गोद में आराम से सो रहा है। ये द्र्श्य बड़ा ही अजीब लगा।

फ़ेसबुक पर ही एक और मित्र थी, थोड़ी वयसक थी, किसी जमाने में बहुत अच्छी बातचीत थी उनसे पर फ़िर अचानक उनके अंकाउट में कुछ दिक्कत की वजह से बातचीत खत्म हो गयी। थोड़े दिन पहले मैने उन्हें वापस से फ़्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और पुन: बात प्रांरभ हुई, जाते जाते वो वादा कर के गयी की अब मुलाकाते होती रहेंगी। 10 दिन बाद ही खबर आयी कि वे बहुत बीमार है और फ़िर उनकी मृत्यु का दुखद समाचार प्राप्त हुआ, मन थोड़ा सा विचलित हो गया। अनेकों लोगो के शोक संदेश देखे और लगा की मौत भी बड़ी अजीब चीज हैं जो लोग सदियो से बात नहीं करते वे भी भावुक हो जाते हैं। कहते हैं कि मौत के समय तो आपके दुश्मन भी आपकी तारीफ़ करने लगते है। किसी समय एक रूसी कहानी पढी थी, एक वैज्ञानिक अपना क्लोन बना कर अपनी मौत का स्वांग गढता है ताकि शोक संदेश में अपनी तारीफ़ पढ सके और इससे पहले की वो अपनी इस अदभुत खोज को दुनिया को बता सके , उसकी बीवी उसे जहर दे कर मार देती है क्योंकि किसी जमाने में अपने अनुंसधान के पीछे पागल हो उसने अपनी बीवी पर थूक दिया था, एक थूक का बदला मौत वो भी जीवन के सबसे रोंमाचक क्षण में जब आपकी सालो की महनत सफ़ल हुई है, बड़ी दिलचस्प कहानी थी।

एक और कहानी याद आ रही हैं एक सरकारी कर्मचारी की जिसका स्थानांतरण एक नक्सली इलाके में कर दिया जाता है और वो अनेक जुगाड़ लगा कर अपना स्थानांतरणीय रुकवाता है क्योंकि उसे डर होता है कि वहा उसे अगवा कर के मार दिया जायेगा। जब वो सफ़ल हो जाता है, तब वो जश्न मनाने के लिये घर मिठाई लेकर जाता है पर दुर्भाग्यवश अगले चौराहे पर एक दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो जाती है। फ़िर से, वही विडंबना की मौत से आप जितना भागो, कही ना कही उससे मुलाकात हो ही जाती हैं।

किस्सें कहानियां तो ठीक हैं, पर असली जिंदगी मे हम शायद ही कभी मौत का सोचते हैं। हम अपनी परेशानियों, बेबसी, बुरा वक्त, और गंदी किस्मत के तामझाम में इतने व्यस्त होते हैं कि शायद ही हम कभी ईश्वर को जिंदगी के लिये धन्यवाद देते है कभी। काम को कल पर टालने की आदत तो हमारी होती ही हैं और हम बड़े ही निश्चिंत होते है कि कल हम स्वस्थ रहेंगे, कुशल रहेंगे और काम खत्म कर देंगे। हमें जिंदगी बोझ लगती है, अन्याय लगती है, अपना जीवन बेकार और दुसरों का अच्छा लगता है। हम कालेज के नाम से या कालेज में अपने परिणाम से खुश नहीं होते। अच्छे कालेज या नौकरी ना मिलने की शिकायत होती है। अमीर घर में ना पैदा होने से लेकर लंबा कद ना होने की शिकायत, अच्छे पति से शादी ना होने की शिकायत से लेकर ससुराल अच्छा ना होने की शिकायत । हमें जिंदगी से बस शिकायत ही होती हैं पर ना जाने क्यूँ हम ये भुल जाते है कि जिंदगी का एक ही विकल्प है और वो है मौत । एक मौत ही हैं, जो आपको हर शिकायत हर समस्या से मुक्ति दे सकती है, वरना जब तक जीवन हैं, परेशानियां रहेंगी, कठिनाइयाँ होगीं, मुश्किलें मिलेगी । आप पर निर्भर करता है आप सब हँसते हँसते सहे और अपना रास्ता बनायें या फ़िर हर किसी पर दोषारोपण कर एक नकारात्मक व्यक्ति की पहचान बनायें।

जिंदगी सच में बहुत ही जटिल और अनिश्चित हैं, किसी भी पल कुछ भी हो सकता हैं तो हमे जिंदगी का मूल्य जान इसे बरबाद करने की आदतों को छोड़ना चाहिये। रोज सोने से पहले एक बार सोचे जरूर की आज आपने ऐसा क्या किया जो आगे जाकर आपको काम आयेंगा। हर पल को जिये, और शुक्रिया अदा करें क्योंकि आपकी जिंदगी हालाँकि उतनी अच्छी नहीं जितनी आप चाहते हो, पर उतनी बेकार भी नहीं जितना आपके दुश्मन चाहते हैं। और अच्छे लोगों के साथ मधुर संबंद्ध हमेशा बनाये रखे और आगे बड़ कर रिश्तों को बनाये और बचाये रखने का प्रयास करे क्योंकि बुरा वक्त आने पर आपके करीबी और अजीज लोग ही आपकी मदद करेंगे दिखावटी लोग नहीं । जाते जाते गुलजार की कविता के साथ आपसे विदा लेता हुँ।

मौत तू एक कविता है
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको

डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुँचे

 दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
 ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन

जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको

2 comments:

  1. The only alternative to life is death.. dark stuff! You have done justice to the genre.
    #goosebumps :P

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  2. @Shreya Pandey: ain't it the truth ;) ! Thank you, goosebumps, that's interesting ! :P

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