Tuesday, August 4, 2020

एक शाम किशोर के नाम

किशोर कुमार, शायद ही कोइ ऐसा हो जिसने ये नाम ना सुना हो। किशोर दा के गाने वक्त के साथ और प्रासंगिक होते गये है। शायद नयी पीड़ी रफ़ी मुकेश या मन्ना डे के मुकाबले किशोर से काफ़ी ज्यादा पारिचित है। किशोर के अलग अलग गानों के कभी रिमीक्स बनते है तो कभी वो स्लो चलने वाले कवर। किशोर के बारें मे भी कुछ लिखना रफ़ी जितना ही कठिन हैं। हाँलाकि किशोर शास्त्रिय संगीत में पांरगत नहीं थे, ना ही उनकी आवाज की रेंज मे इतनी ज्यादा विवधता थी। पर किशोर जब गाते थे, तो डुब कर गाते थे और अपने साथ साथ सुनने वालों को भी गाने में डुबा देते थे।

कहते हैं कि बचपन में किशोर की आवाज काफ़ी कर्कश थी, एक बार उन्होंने कुछ शरारत की और उन्हें घर से बाहर निकाल दिया गया। नन्हें किशोर इतने आहत हुए कि वो 2 दिन तक रोते रहे, नतीजतन उनकी आवज सुरीली हो गयी, कुछ लोग कहते हैं कि बचपन में किशोर ने चाकु से खुद को चौटिल कर लिया था फ़िर वो बहुत रोये और उनकी आवाज मधुर हो गयी हो। कारण कुछ भी रहा हो किशोर को रुला कर किस्मत ने दुनिया का भला कर दिया। कालांतर में जब अशोक कुमार साहब फ़िल्म इडंस्ट्री में जम गये तो किशोर को भी खंडवा से जो कि मध्यप्रदेश का एक छोटा सा कस्बा हैं, मुंबई बुला लिया गया।

मुझे तो बहुत समय बाद पता चला कि किशोर कुमार गायक भी हैं। मैं तो उन्हें एक्टर ही समझता था। पड़ोसन फ़िल्म आज भी कामेडी की सदाबहार फ़िल्म हैं। किशोर ने जो रोल फ़िल्म में किया हैं लगता हैं कि वो एक्टिंग के लिये ही बने थे। लड़की जब भाव दे रही हो तो लड़के को सख्त लौंडा बना कर खिड़की बंद करा लेना, भगवान कृष्ण बन कर प्यार को छोड़ अपने अपमान के बदले के लिये थप्पड़ लगाना, किशोर जैसा गुरू हर लड़के को मिलता तो काफ़ी प्रेम कहानियाँ सफ़ल हो जाती। प्यार किये जा फ़िल्म में भी किशोर ने कमाल का रोल किया हैं। चलती का नाम गाड़ी मैंने तो नहीं देखी हैं पर काफ़ी तारीफ़ सुनी है। आके सीधी लगी जैसें दिल को कटरिया गाने में किशोर कुमार ने ना सिर्फ़ महिला और पुरूष दोनो की आवाज दी है, साथ ही साथी महिला बनने की एक्टिंग भी की हैं और क्या खुब की हैं, बहुत ही मनोंरजक गाना। कहते है कि शुरुआत में किशोर दा भी के सहगल साहब कि नकल करते थे फ़िर एक आर एक डी बर्मन साहब ने कहा कि अपन कुछ अन्दाज जाद करो तो किशोर दा ने यूडलिन्ग चालु की थी।

चलिये शुरु करते किशोर दा के मेरे पंसदीदा गानों का सफ़र। सबसे पहले बात करते हैं मस्ती वाले गानों की। पहले मुझे लगता था कि किशोर दा बस मस्ती वाले गाने ही गाते हैं, दर्द वाले रफ़ी मुकेश गाते हैं। सबसे पहले एक चतुर नार गाना, गाने से भी हास्य पैदा किया जा सकता हैं कि अद्भुत मिसाल। इस गाने के बारे में कहा जाता हैं कि मन्ना डे साहब पहले गुस्सा हो गये थे कि मैं शास्त्रिय संगीत में पांरगत इंसान किशोर से मुकाबले में कैसे हार सकता हुं, सबने बहुत मनाया उन्हें वो नहीं माने, फ़िर खुद किशोर साहब गये, उनसे बात की और उन्हें गाने के लिये मनाया।

जिंदगी एक सफ़र है सुहाना गाने मैं किशोर की आवाज और काका का बुलेट चलाते हुए अंदाज इतना ज्यादा हिट हुआ, कहते हैं कि मूवी के हिट होने के पीछे इस गाने का और काका का छोटे से रोल का बड़ा हाथ था। नीले नीले अंबर पर गाना आज भी सदाबहार हैं, गिटार सिखने वाला हर आदमी इस गाने पर हाथ जरुर आजमाता हैं। किशोर दा जब मस्ती में पल भर के लिये कोई हमें प्यार कर ले झुठा ही सही गाते हैं तो तमाम युवा दिलों की छुपी तमन्ना को शब्द दे देते हैं। चल चल चल मेरे हाथी मे इंसान क्या हाथी भी किशोर दा की आवाज पर झूम उठता हैं । चला जाता हुँ किसी की धुन मे धड़कते दिल के तराने लिये के बिना तो कोई भी रोड ट्रिप अधुरी सी लगती है। सलामें इश्क मेरी जा वैसे तो लता जी ने बहुत ही सुंदर तरीके से गाया हैं पर गाने का असली मजा तो जब एक लंबा आलाप लेने के बाद इसके आगे की तू दास्ता मुझसे सुन पर किशोर की एंत्री से आता हैं।

प्यार होने के एहसास को किशोर दा ने एक अजनबी हसीना से युँ मुलाकात हो गयी में खुबसूरती से पिरोया हैं तो एक लड़की भीगी भागी सी में खुबसूरत उपमाओं से सजाया हैं। समझ नहीं आता गाने के शब्द ज्यादा सुंदर हैं, किशोर की आवाज या मधुबाला जी । छु कर मेरे दिल को किया तुने क्या इशारा को किशोर दा ने बहुत ही खुबसूरती से गाया हैं। मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद का टुकड़ा रहता हैं से किशोर ने जितनी सरलता, मधुरता और संजीदगी से गाया हैं कि ये गाना भी कालजयी बन गाया हैं

प्यार के इजहार में भी किशोर दा ने बहुत साथ दिया हैं लोगो का। चाहे दिवार जैसी गंभीर फ़िल्म में शशि साहब का कह दू तुम्हें या चुप रहूँ दिल में मेरे आज क्या हैं हो जिसका रिमिक्स भी काफ़ी हिट हुआ था या फ़िर पड़ोसन के भोले का बिंदु को जन्मदिन पर कहना हैं कहना हैं आज तुमसे ये पहली बार होकोरा कागज था ये मन मेरा गाने की शुरुआत तो मानो प्यार के आने का स्वर हो गया हैं। दिल क्या करे जब किसी को किसी से प्यार हो जाये गाना मुझे पहले ज्यादा पंसद नहीं था, पर कोटा में रेडियो पर सुन सुन कर इस गाने से भी एक लगाव सा हो गया हैं।

हमें तुमसे प्यार कितना शायद किशोर के द्वारा गाये गए सबसे बेहतरीन गानों में से एक होगा। जिस संजीदगी और गंभीरता से किशोर ने ये गाना गाया हैं एक अलग ही रूमानियत का एहसास कराता हैं ये गाना खास कर रात को बिना किसी शोर के आसमान को देखते हुए सुनना। पल पल दिल के पास तुम रहती हो के बोल और गायान दोनो बहुत ही मधुर हैं। किशोर के जटिल गायान में आप नीरज जैसे महान कवि के जटिल शब्द डाल दे तो फ़ुलों के रंग से दिल की कलम से और शोखियों में घोला जाये जैसी सुंदर कविताओं की रचना हो जाती हैं।प्यार दिवाना होता हैं और ये शाम मस्तानी अत्यंत सरल और सुंदर रचनाए हैं। ओ मेरे दिल के चैन तो ऐसा लगता है बस रिपीट पर सुनते जाओ।

किशोर दा का आने वाला पल जाने वाला हैं बहुत ही नास्टालजिक फ़ील देने वाला गाना हैं। जिंदगी के सफ़र में जो गुजर जाते हैं मकाम गाना नास्टालजिक के साथ थोड़ा दुखी भी कर देता हैं। मुसाफ़िर हुँ यारों ना घर है ना ठिकाना गाने को में जीवन में मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया के साथ रखता हुं ये दोनो गाने बहुत ही उर्जा और उत्साहन देने वाले हैं। वहीं तेरे बीना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं मे किशोर ने अलग ही छाप छोड़ी हैं।


किशोर और राजेश खन्ना की जोड़ी का अलग से उल्लेख करना बनता हैं क्योंकि दोनो का एक दूसरे की सफ़लता में बहुत बड़ा हाथ हैं। सबसे पहले बात करते हैं अमर प्रेम के गानों की। चाहे वो चिंगारी कोई भड़के हो या फ़िर कुछ तो लोग कहेंगे या ये क्या हुआ, ये तीनों ही गाने उत्क्रष्ट उदाहरण हैं कि किशोर गंभीर गानों के साथ ही उतना ही न्याय करते हैं जितना मस्ती वाने गानो का। मेरे दिल में आज क्या हैं

गाना भी अलग ही नास्टालजिक फ़ील देता हैं। आराधना फ़िल्म के गानों ने तो अलग ही इतिहास रचा था फ़िर चाहे वो मेरे सपनों की रानी हो या फ़िर रुप तेरा मस्तानाकोरा कागज की बात तो हम उपर कर ही चुके हैं। जय जय शिव शकंर में काका का डांस और किशोर की आवाज एक अलग ही पहचान बना चुकी हैं। गोरे रंग पर ना इतना गुमान कर गाना कई लड़के आज भी लड़कियों से चुहल करने के लिये करते हैं। नदिया से दरिया, दरिया से सागर, सागर से गहरा हैं जाम बालीवुड का मधुशाला हैं।

टुटे दिलों और गम के इजहार के लिये जितने मरहम रफ़ी लगाते हैं किशोर भी उतना संबल देते है। किशोर ने इतने दर्द वाले गाने गाये हैं ये हमें भी पहली बार दिल के टुटने पर ही पता चला। फ़िर चाहे अमिताभ का दिलबर मेरे कब तक मुझे ऐसे ही तड़पाओगे हो या फ़िर काका का ये जो मोहब्बत हैं ये उनका हैं काम। कितने ही लोग जो किसी रिश्ते को तोड़ कर आगे बड़े हैं वो कभी ना कभी हम बेवफ़ा हरगीज ना थे पर हम वफ़ा कर ना सके जरूर गाये हैं। इंतहा हो गयी इंतजार की तो प्रेमिका के मेसेज का इंतजार कर रहें नौजवानों का ऐंथम हैं।

पर अगर किशोर के श्रेष्ठ गानों की बात करे तो वो नि;संदेह मेरे महबूब कयामत होगी और मेरी भीगी भीगी सी पलकों पे रह गये जैसे मेरे सपने बिखर के होंगे। जहा पहले गाना खुद किशोर दा पर फ़िल्माया गया हैं दूसरे गानें में संजीव साहब रफ़ी वाले खिलौना जान कर और खुश रहे तू सदा के स्तर को भी मिलों दूर पार कर गये हैं मानों संजीव साहब का जन्म बस दर्द के इजहार को हुआ था। मेरे महबूब के अंतरे में जो प्रेमिका के प्रति आक्रोश दिखाया हैं और किशोर ने उतनी ही भत्सनापूर्व तरीके से उसे गाया है।

मेरी तरह तू आहें भरे

तू भी किसी से प्यार करे

और रहे वो तुझसे परे
तूने ओ सनम ढायें हैं सितम
तो ये तू भूल न जाना
के ना तुझपे भी इनायत होगी

वहीं शायद स्त्री के प्रति नफ़रत भरे सबसे ज्यादा बोल अनामिका में ही लिखे गये हैं और किशोर ने उतने ही दर्द पूर्वक गाया हैं ।

तुझे बिन जाने, बिन पहचाने मैंने हृदय से लगाया
पर मेरे प्यार के बदले में तूने मुझको ये दिन दिखलाया

जैसे बिरहा की रुत मैंने काटी
तड़प के, आहें भर-भर के
जले मन तेरा भी किसी के मिलन को
अनामिका, तू भी तरसे
आग से नाता, नारी से रिश्ता काहे मन समझ ना पाया?
मुझे क्या हुआ था, एक बेवफ़ा पे हाय, मुझे क्यों प्यार आया?

तेरी बेवफ़ाई पे हँसे जग सारा
गली-गली गुज़रे जिधर से
जले मन तेरा भी किसी के मिलन को
अनामिका, तू भी तरसे

चलते चलते मेरे ये गीत का सेड वर्जन किसी भी अजीज इंसान को श्रद्धाजंलि देने के लिये उत्तम हैं। खिलते हैं गुल यहाँ खिल के बिखरने को गाना कम कविता ज्यादा लगता हैं। मेरा जीवन कोरा कागज गाना जीवन से ठोकरें खाने के बाद थक जाने के बाद जीवन के प्रति उदासीनता दिखाता हैं। मेरे नैना सावन भादौ फ़िर भी मेरा मन प्यासा के तीन वर्जन हैं और तीनों ही काफ़ी मधुर ये। वो शाम कुछ अजीब थी कुछ दिनों से काफ़ी चड़ा हुआ हैं मेरे दिमाग में, हर दो तीन दिन में लगा ही लेता हुँ, ब्लेक एंड वाईट गानों में एक अलग ही फ़ील होती हैं।

किशोर और बारिश का भी अलग ही रिश्ता था फ़िर चाहे वो भीगी भीगी रातों मे गाना हो लता जी के साथ जो संयोग से इस समय मेरे मोबाईल पर चल रहा हैं और बाहर बहुत तेज बारिश भी आ रही है या फ़िर अमिताभ और स्मिता जी पर फ़िल्माया खुबसूरता गाना आज रपट जाये तो हो। अगर किसी को कुछ शंका हैं कि साँवला इंसान सुंदर नहीं हो सकता या फ़िर साड़ी में कोई लुभावना नहीं दिख सकता तो एक बार इस गाने को जरूर देख ले। रिमझिम गिरे सावन सुलग सुलग जाये मन किशोर के मेरे सबसे ज्यादा पंसदीदा गानों में से एक हैं, ये किशोर के गाये हुए सबसे कठिन गानों मे से एक हैं।

लिखते लिखते कई घंटे हो गये हैं अब पर किशोर के गानों का या किशोर के किस्से का कोई अंत नहीं हैं। चार शादियों के बाद भी किशोर पूरी जिंदगी तन्हा ही रहें, कई लोग किशोर को काफ़ी कठिन, जटिल और पागलपन की हद तक सनकी मानते हैं। कहते हैं कि किशोर ने घर के पेड़ो को नाम दे रखे थे और वो घंटो पेड़ो से बात करते रहते थे क्योंकि एक वक्त के बाद उन्हें इंसानों से कोफ़्त हो गयी थी। कल रक्षाबंधन भी था, किशोर का फ़ूलो का तारो का सबका कहना है इस त्योहार का पेटेंट गाना हैं वैसे मेरी प्यारी बहनिया जब बनेंगी दुल्हनियाँ भी काफ़ी सुंदर गाना हैं।

चलिये अब इस सफ़र पर यही विराम लगाते हैं, किशोर उनके किस्से उनका गायन हमेशा अमर रहेंगे। उम्मीद हैं आने वाली पीड़िया भी किशोर के गानों से खुद को इतना ही जोड़ पायेंगी जितना हम जोड़ पाते हैं।

 


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